वेद | vedas

दोस्तों आज में आपको वेद के बारे में बताउगा | वेद भारत का एक पवित्र ग्रन्थ है | वेद दुनिया का सबसे पुराना साहित्य है | वेद शब्द संस्कृत भाषा के विद् ज्ञाने धातु से बना है | वेद का शाब्दिक अर्थ ज्ञान है | ज्ञान वह प्रकाश है जो अंधेरा रूपी अज्ञानी का विनाश करता है | जिस प्रकार सूर्य के आगे अंधेरा नहीं रहता है उसी प्रकार ज्ञान के आगे अज्ञान नहीं रह सकता है | वेदो के सनातन धर्म का आधार माना जाता है | वेद में मानव का हर समस्या का समाधान है | वेदो में ब्रम्ह देवता गणित प्रकृति भूगोल धार्मिक ज्योतिष रीती रिवाज इतिहास नियम रसायन आदि सभी विषयों का ज्ञान भरा पड़ा है | वेद में हजारो मन्त्र और रचना है | वेद मनुष्यो को मानवता, प्रेम सत्य सतोष मित्रता उदारता अहिंसा ब्रह्मचर्य पवित्रता खान-पैन में शुद्धता तप त्याग की शिक्षा देता है |
वेदो को अपौरुषेय माना गया है अपैरुषेय का मतलब होता है यह कोई व्यक्ति के नहीं बल्कि ईश्वर द्वारा कृत है | यह ज्ञान विराटपुरुष से ब्रह्माजी ने प्राप्त किया था | वेदो की संख्या चार है | जो इस प्रकार है |

ऋग्वेद -   ऋग्वेद सबसे पुराना वेद है | ऋचाओं और क्रमबद्ध ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है | ऋग्वेद      10 मंडल और 1028 सूती है एवं 10,462 ऋचाएँ है | ऋग्वेद से आर्य के राजनितिक प्रणाली , एवं इतिहास के वारे में जानकारी मिलती है | विश्वामित्र ने ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मन्त्र है | ऋग्वेद में विभिन्न वैदिक देवताओ ढ स्तुति करने वाले मन्त्र है | देवताओं की स्तुति करने वाले स्तोत्रों की प्रधानता है |  ऋग्वेद में बहुदेववाद , एकेश्वरवाद , और एकात्मवाद का उल्लेख है |  ऋग्वेद में 25 नदियों का उल्लेख किया गया है जिनमे सर्वाधिक महत्पूर्ण नदी सिंधु का वर्णन अधिक है | सबसे पवित्र नहीं सरस्वती को मन गया है |  ऋग्वेद में सोम रस की प्रशंसा की गई है | असतो मा सद्गमय वाक्य ऋग्वेद से लिया गया है | ऋग्वेद में गाय के लिए अहन्या शब्द का प्रयोग किया गया है |

                                                                   


यजुर्वेद - ऋग्वेद के बाद यजुर्वेद का नाम आता है | यजुर्वेद हिन्दु धर्म का एक महत्वपूर्ण धर्मग्रंथ है इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया  पद्य मन्त्र है | यजुर्वेद में 663 मन्त्र ऋग्वेद का है | यजुर्वेद मुख्य रूप ले एक गद्यात्मक ग्रन्थ है | यजुर्वेदके पद्यात्मक मन्त्र  ऋग्वेद और अथर्ववेद से लिया गया है | यजुर्वेद में दो  शाखा है कृष्ण यजुर्वेद शाखा और शुक्ल यजुर्वेद शाखा है | कृष्ण यजुर्वेद में मन्त्र और उसकी व्याख्या है | शुक्ल यजुर्वेद में संहिताओं को वाजसनेय भी कहा जाता है | यजुर्वेद की  रचना कुरुक्षेत्र के प्रदेश में हुआ था | यजुर्वेद में हवनो के नियम और विधान है | यजुर्वेद में आर्यो के धर्मिक जीवन और सामाजिक पर प्रकाश डाला गया है | यजुर्वेद में यज्ञो का विवरण है तो दोस्तों आइये जानते है यज्ञो के विवरण के बारे में |

अगिनहोत्र , वाजपेय अश्वमेध सोमयज्ञ राजसूय आदि |

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सामवेद - चारो वेद में सामवेद का नाम तीसरे नंबर पर आता है | सामवेद गीतात्मक मतलब गीत के रूप में है | सामवेद में उन गेय छंदो है जिनका गान यज्ञो के समय करते है | सामवेद को संगीत शास्त्र का मूल माना जाता है | सामवेद में अगिन , इंद्रा सविता देवताओ का जिक्र मिलता है | सामवेद आकार में चारों वेदो में सबसे छोटा है | सामवेद  को सभी वेदो का सार कहा जाता है | सामवेद  में 1504 मन्त्र ऋग्वेद से लिया गया है | सामदेव में 1875 मन्त्र है | सामवेद के दो भाग है [पहला भाग आर्चिक और गान |   

अथर्ववेद - इस वेद में जादू यज्ञ आरोग्य चत्मकार के लिए गंभीर रोगो का निदान विज्ञानं और दर्शन के  मन्त्र है | इसमें 20 काण्ड है | और 8 खंड भी | अथर्ववेद मुख्य रूप से व्यापारियों के लिए होता है | अथर्ववेद को ब्रह्मवेद भी कहा  जाता है | अथर्ववेद से आयुर्वेद में विश्वास किया जाने लगा था | अथर्ववेद में ब्रह्मा की उपासना सबंधी मन्त्र है | यह वेद सबसे बड़ा है इसमें 20 अध्ध्या में 5687 मन्त्र है |




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